Vishwas Library

Sambhog Se Samadhi Ki Aur

By: Osho

जो उस मूलस्रोत को देख लेता है...’ यह बुद्ध का वचन बड़ा अदभुत है: ‘वह अमानुषी रति को उपलब्ध हो जाता हà¥...।’ वह ऐसे संभोग को उपलब्ध हो जाता है, जो मनुष्यता के पार है। जिसको मैंने ‘संभोग से समाधि की ओर’ कहा है, उसको ही बुद्ध अमानुषी रति कहते हैं। एक तो रति है मनुष्य की—स्त्री और पुरुष की। क्षण भर को सुख मिलता है। मिलता है?—या आभास होता है कम से कम। फिर एक रति है, जब तुम्हारी चेतना अपने ही मूलस्रोत में गिर जाती है; जब तुम अपने से मिलते हो। एक तो रति है—दूसरे से मिलने की। और एक रति है—अपने से मिलने की। जब तुम्हारा तुमसे ही मिलना होता है, उस क्षण जो महाआनंद होता है, वही समाधि है। संभोग में समाधि की झलक है; समाधि में संभोग की पूर्णता है। ओशो

Book Details

  • Author: Osho
  • Language: English
  • Published on: 1991
  • Publisher: Rebel
  • ISBN10: 8799065890012
  • ISBN13: 8799065890012
  • Age Group: 18 and above

Related BooksYou May Also Like

View All